अन्य लक्षण हैं भावात्मक अस्थिरता, समन्वयन की कमी, भ्रान्ति और उदासीनता की एक स्थिर भावना।
2.
एल (2005). “व्यक्तित्व विकार बॉर्डर के जीवविज्ञान: हाल के निष्कर्ष और आवेगी आक्रामकता और भावात्मक अस्थिरता का अध्ययन करने के लिए भविष्य दृष्टिकोण.”
3.
तत्पश्चात काशी हिन्दू विवि के शिक्षा विभाग की डिप्टी चीफ प्रोक्टर प्रो. (डॉ.) गीता राय ने ‘किशोरावस्था: युवाओं के लिए निर्देशन और परामर्श' विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि किशोरावस्था मूलतः तनाव एवं तूफान की अवस्था है जिसमें किशोरों के भीतर शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक दृष्टि से अनेक परिवर्तन होते हैं यथा-शारीरिक व यौवन विकास, मानसिक विकास, इच्छाओं व कल्पनाओं का विकास, वस्त्र-चयन, शारीरिक सौष्ठव एवं बातचीत के लहजे में परिवर्तन तथा भावात्मक अस्थिरता और समूहबद्धता ऐसे परिवर्तन हैं-जो शिक्षक के शिक्षण कार्य के लिए आवश्यक है।